ठाकुर तेरी लीला के आगे...हम सब है हारे.... कैसी होली खेली साँवरे...रंग छीन लिए सारे.... एक पुजारिन तेरी कान्हा...हर पल तुझको गाती.... कभी रूठती तुझसे ही और कभी वो तुझे मनाती.... आज हुई वो मौन...तेरे ही शब्द है तुझसे हारे.... कैसी होली खेली साँवरे रंग छीन लिए सारे.... हर पल मुस्काती रहती...उसे कभी न रोना आया.... किया हमेशा वही जो उसने...सबके मन को भाया.... रो भी नहीं पायेंगी आँखें...अब वो गम के मारे.... कैसी होली खेली साँवरे...रंग छीन लिए सारे.... जिन नजरों में हर पल कान्हा..प्रेम बसा करता था.... पलकों से हर पल तेरा ही...नेह झरा करता था.... क्यों आँसू से भिगो दिए..उन प्यारे से नैनों के तारे.... कैसी होली खेली साँवरे...रंग छीन लिए सारे.... सुख दुख जीवन के पहलू हैं..आते जाते रहते.... कहीं धूप तो कहीं नेह के..बादल छाते रहते.... हर उम्मीद है टूटी कान्हा..जिए वो किसके सहारे.... कैसी होली खेली साँवरे...रंग छीन लिए सारे.... सच्चे मन से मैं कहता हूँ...तूँ विनती सुन लेना.... दर्द दिया है जब तूने तो...लड़ने की हिम्मत देना.... बहुत हुआ अब ना बरसाना...गम की तूँ बौछारें.... कैसी होली खेली साँवरे...रंग छीन लिए सारे.... तूँ करुणा का सागर है...और वो तेरी प्रेम दीवानी.... हाथ स्नेह का रखना सर पर..अब मत करना मनमानी.... फूल प्रेम के बन जाना हरकर... राहों के अंगारे.... कैसी होली खेली साँवरे...रंग छीन लिए सारे.... "Sad Holi" Ek best And Close Friend ke Husband Road accident me expired ho gye Holi se thik pahle.. unke liye Ye khash Poem...😔