काँटों से भरा है तरीक़-ए-मुहब्बत, गुलाब नही है। गहरा समंदर है इश्क़, डूब जाओगे, पायाब नही है। -रूद्र प्रताप सिंह (Plz Refer To Caption For Meaning) तारीक़-ए-मुहब्बत*: मुहब्बत की राह पायाब*: छिछला,