नाराज़ तुम्हारा सिर्फ हवाओं पर शक गया होगा चिराग खुद भी तो जल जल कर तक गया होगा तुम्हें दिखाई दिया प्यार मेरी आंखों में भरा हुआ था बहुत हां छलक गया होगा zubair ali