सदमा भी तुम कह सकते हो इत्तेफ़ाके मेल को। कोई सपना बोलेगा कोई अपना, अंधे खेल को।। तोड़ कहा पे खोजू में मुझ राही को मोड़ दो। टूटे बुनियादी ढांचों में खुद को ही तुम जोड़ दो।। #dharmuvach✍️ #cinemagraphcollab क्या #सोचतेरहतेहैं हम। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #dharmuvach