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आखिर क्यों ? . .

आखिर क्यों ?           . .                                                                  क्यों आयें है संसार में क्या अस्तित्व है  मेरा ?                                      क्या उद्देश्य है मेरा जिसे पूरा करूँ ?                                             किसका अभिमान करूँ  कहां कुछ है यहां मेरा?                                   मैं डुबा वो कैसी समुंदर  जो कभी प्यास बुझा पायेगी क्या ?                       फिर भी लगें है पूरा करनें जो सब      मिथ्या     हैं।                                      सत्यता केवल : -" नाश्वर शरीर , स्वार्थी मानव , असंतोष, मायारूपी संसार ।   सब खत्म हैं अग्नि का जब हो प्रघात् ।

©Khilendra Kumar
  जीवन की सच्चाई

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