"स्त्री जीवन" सालों तक स्वयं को तोड़ती है पीसती उस ओखल की भाँति , तब जाकर कुछ मसाले बनते हैं फिर लगाती है ताउम्र का तड़का , तब जीवन एक स्वादिष्ट व्यंजन बनता है सालों बाद यही समाज उपेक्षा कर देता है कि वह भोजन मनमुताबिक नहीं है। ©Tanu Singh स्त्री जीवन #ओखल #तनु सिंह #TiTLi स्त्री जीवन