इंतज़ार शायरी तुम हो मौसमी हवाओं जैसे... आज कहीं कल कहीं। हम है, उस पर्वत जैसे, आज भी है वही और मिलेंगे भी वहीं।। आओगे तुम फिर से बेंहते हुए, और सहला के चले जाओगे। हमें वहीं खड़े... अगले मौसम तक, इंतज़ार में ही पाओगे।। ©Vasudha Uttam #intezaar #Mountains #MorningTea #Nojotonews #Nojoto #nojoyoshayri pankeet Priya dubey Ruchika Pankaj Singh