#OpenPoetry सीने में जलन... सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यों है; इस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यों है; दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढे; पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान-सा क्यों है; तन्हाई की ये कौन-सी मंज़िल है रफ़ीक़ो; ता-हद्द-ए-नज़र एक बियाबान-सा क्यों है; हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की; वो ज़ूद-ए-पशेमान, परेशान-सा क्यों है; क्या कोई नई बात नज़र आती है हममें; आईना हमें देख के हैरान-सा क्यों है। #OpenPoetry सीने में जलन...