निगाहें ये निगाहें तो तुम्हें आज भी चारों ओर तलाशती हैं, जब से तुम दूर हूई हो हमसे, आंसुओ का काला बादल छाया पढ़ा हैं इन पे, तु आऊंगी लोट के, ये सोच कर हीं ये अब तक खुला हैं। ये निगाहें तुम्हें आज भी तलाशता हैं।।। ©Razzj D A sad feeling...but hopeful #WForWriters