क्या करेंगे पांव में पड़े आबलों पे वो ग़ौर परदेस में जिनका न कोई ठिकाना है न ठौर चलना है सो चलते चले जा रहे हैं कुछ रास्ते में मर रहे हैं कुछ पटरी पे कटे जा रहे हैं The migrants - 11/5/20