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#काव्योदयसाहित्यप्रतियोगिता न07 #मिसरा खुद्दार सी

#काव्योदयसाहित्यप्रतियोगिता न07
#मिसरा खुद्दार सी खनक है गीतों में तेवरों की
#221,2122,221,2122,
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कैसें  हम  मिटायें सलवटें इन चादरों की
कैसें  भूल  पायें   हम  बातें उन दिनों की ...1

नेक  इरादे  जिनके  बारिश हैं चाहतों की
दिल बनाया आशियाना चाहत न किलों की...6

दिल ये मचल गया है  तेरी एक छुउन थीं
तारें  गिन  रात  बीती  ना पूछ करवटों की...2

आरजू मेरे  दिल  काम किसके आ सकूँ 
मुफलिसी के आलमं जरूरत रोटियों की ...4

जीना  नहीं  गवारा   सायां  हर पलों थीं
खुद्दार  सी  खनक  है  गीतों में तेवरों की...3

दिल मकां खुला जरूरत नहीं सांकलो की
जुवा़ पड़ गयें ताले जरूरत क्या बेड़ियों की..5

नेक इरादे जिनके बारिश हैं चाहतों की
दिल बनाया आशियाना चाहत न किलों की...6

होंठों पे गीत जिनके खनक हैं चूडियों की
खुद्दार  सी  खनक  है  गीतों  में तेवरों की...7

सख़्त ज़ुबां उनकी बातों में शक्कर उनकी
जुल्फें  काली   घटाएं  बारिश  बादलों की..8

हुए बेख़बर ज़ख्मी बातें हैं जब तीरों सी 
नश्तर हैं हाथ अपनों कीमत न दर्दों की...9

विमल सागर

©vimlesh Gautam https://youtube.com/@jindgikafasana6684
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