मुझमें वो शामिल कुछ इस तरह है वो है जीने का मकसद और वजह है दुआ में होकर भी क्यों मिलती नहीं है क्या हवा को पता है वो रहती कहां है उड़ते बादलों के जैसी फितरत है उसकी पल भर में वो यहीं है पल भर में वो वहां है मैं भागता हूं उसके पीछे धूप के जैसा परछाई के जैसी वो ठहरती कहां है मुझमें ढ़ल रही है वो सर्द रातों के जैसी बिना धुएं के आग जलती कहां है दो सीधी लकीरों जैसी किस्मत है अपनी जो साथ दिखती तो हैं पर मिलती कहां है... © abhishek trehan #इश्क़ #सर्द_रातें #lovestory #manawoawaratha #yqbaba #yqdidi #कोराकाग़ज़ #poetry