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जख़्म इतना गहरा हैं इज़हार क्या करें, हम ख़ुद निशा

जख़्म इतना गहरा हैं इज़हार क्या करें,
हम ख़ुद निशां बन गये ओरो का क्या करें,
मर गए हम मगर खुली रही आँखे हमरी,
क्योंकि हमारी आँखों को उनका इंतेज़ार हैं.

©Harbachansingh
  aankhon ko intzar hai

aankhon ko intzar hai #Shayari

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