धुआं धुआं भरा है मन में सांसे मेरी फूल रही हैं मन कसैला और मैं कुपित हूँ उपेक्षा और तिरस्कार से सांसे मेरी शूल हुई हैं मै गँवार, अज्ञानी, जड़ बस प्रेम ही समझ सका हूँ क्या जानू विद्वेष की बातें विश्रब्ध हूँ, कातरता की बातें मुझको कोंच रही हैं विश्रब्ध : विश्वशनीय, शांत, निडर, निर्भीक, दृढ़,धीर विद्वेष : ईर्ष्या, डाह, कुढ़न , जलन #सांसे #विश्रब्ध #कुपित