जहाँ पर हो केवल प्यार ही प्यार, ना छल कपट हो ना हो व्यभिचार, सबके दिलों में हो खुशियाँ अपार, जहाँ रिश्तों के बीच ना हो दीवार। जहाँ नारियों को हम नारायणी समझें, ना हो बेटियों पर कोई भी अत्याचार, जहाँ पर बुजुर्गों का हो मान सम्मान, चेहरे पर हो खुशियाँ ना हो कोई लाचार। एक दूजे की जज़्बातों को समझे, जहाँ भावनाओं की हो कद्र आठो पहर, लगे जैसे घर नहीं हो ईश्वर दरबार, ऐसा प्यारा हो मेरे सपनों का शहर। A challenge by Collab Zone🌟 ✔️समय - २५ फरवरी शाम ५ बजे तक ✔️ ४-६ पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है । ✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।