_______________________ मोबाइल की घंटी पर दिल का धक -धक करना याद है मुझे शाम-ओ-सहर एक मैसेज के लिए बेकरार रहना याद है मुझे तुम्हें किसी और का जिक्र करते देख ,मेरा गुस्सा करना याद है मुझे मेरे गुस्से पर तुम्हारा मानना मीठी-मीठी बातें करना याद है मुझे रातों को जगना सिरहाने पे वो तकिया गीला करना याद है मुझे महफ़िल से दूर भागना तन्हाइयों में वो सिसकारियाँ याद है मुझे आज भी बेतहाशा याद आते हो तुम एक धुधँली दास्तान रह गये हो तुम ।। ♥️ Challenge-584 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।