केरल में बाढ़ और बारिश से भयंकर तबाही हुई थी. पिछले कुछ दशकों में केरल में कभी बाढ़ की बात सुनी भी नहीं गई. राज्य में दक्षिण पश्चिमी मानसून सामान्य बारिश करके आगे बढ़ जाता था लेकिन इस बार ऐसा क्या हो गया कि मानसूनी बादल जरूरत से ज्यादा बारिश बरसा रहे हैं. फिर राज्य के 80 फीसदी इलाकों में जलप्लावन वाली स्थिति आ गई है.कितनी ज्यादा हुई है बारिश मोटे तौर पर केरल में जितनी बारिश जून से लेकर सितंबर तक होती है. उससे करीब 37 फीसदी ज्यादा बारिश अगस्त के दूसरे हफ्ते तक हो चुकी है. इडुक्की तो ऐसा जिला है, जहां अब तक 84 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है.केरल में कौन सी हवाएं लाती हैं बारिश -पूरे देश की तरह केरल में भी दक्षिण पश्चिमी मानसून ही मुख्य तौर पर बारिश लाता है. अरब सागर में बनने वाली मानसूनी हवाएं जून के मध्य या आखिर तक केरल के तटीय इलाकों को छूती हैं. वहां मानसूनी सीजन की पहली बारिश करती हैं और फिर आगे बढ़ जाती हैं. अामतौर पर केरल के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों में दक्षिण पश्चिमी मानसून ही बारिश करता है. - हर बार केरल से देश में प्रवेश करने वाली मानसूनी हवाएं केरल में सामान्य बारिश करती रही हैं. हालत ये थी कि ये हवाएं केरल में हल्की फुल्की या सामान्य बारिश करके आगे बढ़ जाती हैं.