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जहां तक दृष्टि जाती वहां तक दिखता कोटा उसके आगे ब

जहां तक दृष्टि जाती
वहां तक दिखता कोटा 
उसके आगे बादल से लटका
दिखता फिर भी कोटा।
सुनहरी आकाश की उपमा
शायद धारण कर ली कोटा
पढ़ने आते बच्चे यहां
पाल सुनहरी सपना मोटा।
डोरिया की साड़ी प्रसिद्ध
गहनों का रुतबा ऊंचा
सात अजूबों की नकल
बात कहती कूंचा-कूंचा।
रिवर फ्रंट ने चमक बढ़ाई
चंबल हो गई स्थल सुहानी 
बीचोंबीच शहर से गुजरती 
लगती सौन्दर्य की रानी।।

©Mohan Sardarshahari
  कोटा

कोटा #कविता

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