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ऐ मृत्यु तू बड़ी अभागी है गम्भीर पुरुष ज्ञानी योद्

ऐ मृत्यु तू बड़ी अभागी है

गम्भीर पुरुष ज्ञानी योद्धा
मृत्यु को रोज चिढ़ाते हैं
चाहे हार गए हो जीवन से
पर मृत्यु को सदा हराते हैं

जो व्यथित हुये अपनों से ही
अब चाह नहीं है जीने की
या बीमारी ने त्रस्त किया
पर व्याकुलता थी जीने की

या काल चक्र की माया ने
उनको दुर्घटना ग्रस्त किया
सपने और कल्पना का
कुछ पल में कालाघोष किया

जो प्यार करते अपनों से
सरोकार करते सपनों से
उनको ही हरा पाती है
मृत्यु तू बड़ी अभागी है

©Uday Rajpoot 'Yudi'
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