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ये जिंदगी की पहेली एक दिन तो सुलझनी हैं, डोर रिश्त

ये जिंदगी की पहेली एक दिन तो सुलझनी हैं,
डोर रिश्तों की फिर अहंकार में क्यों उलझती हैं,

जिंदगी के सफर में हमसफ़र जो बने कभी,
क्या किसीका साथ निभाना भी गलती हैं,

जिसने जैसा समझा वैसा ही तो पाया जिंदगी को,
फिर जलन, नफरत ,मजाक में क्यों हारा जिंदगी को,

प्रेम जो करे उसके लिए आसान हुई हर पल जिंदगी तो,
गलतफहमी, शक, अहंकार ने तो पल-2 मारा जिंदगी को,

कोई जिंदगी से खास नहीं जो बहाकर अश्क बर्बाद कर,
थोड़ा तो अपनी जिंदगी पर भी रहम और एतबार कर, 

आहिस्ता-आहिस्ता ही सही मंजिल पर तू अपने कदम रख,
जो करते हैं नजर अंदाज उनके लिए अब बदला हुआ अंदाज़ रख,

जिंदगी हैं कितनी किमती हर पल तू खुद से बखान कर,
पहले अच्छा इंसान बन फिर सबकी भलाई का काम कर,

अपने स्वार्थ से तो जीते हैं सभी इस जमाने में प्रिया,
मिली जिंदगी तो जिंदगी को ज़िंदादिली से सबके नाम कर।

©Priya Gour
  जिंदगी की पहेली...❣️
#जिंदगी 
#nojotowriters 
#20Feb 6:12
priyagour7765

Priya Gour

Gold Star
Super Creator
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जिंदगी की पहेली...❣️ #जिंदगी #nojotowriters #20Feb 6:12 #कविता

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