या ख्वाजा तेरा मर्तबा पीरों में सबसे ऊंचा है रूह तो मेरी पाक है नहीं बस जिस्म ही समूचा है तेरी चौखट चूमने की क्या जरुरत जहां दिल से पुकारा वहीं से तेरा नाम चहुं ओर गूंजा है शायर आयुष कुमार गौतम या ख्वाजा.............