मदहोशी का हैं आलम जब से मैंने प्यार किया हैं हूँ मैं ग़ाफ़िल तेरे ख़्वाबों में तुमसें प्यार किया हैं तिरे चिलमन से जो रोशन हुई शमा इन अँधेरो में तेरे हुस्न से मदहोश यह दिल मैंने निसार किया हैं ज़माना कहता हैं मुझकों एक अज़ीज़ शायर यगाना गीत बन गई हैं धड़कन मेरी जो तेरा दीदार किया हैं मदहोशी का हैं आलम जब से मैंने प्यार किया हैं हूँ मैं ग़ाफ़िल तेरे ख़्वाबों में तुमसें प्यार किया हैं तिरे चिलमन से जो रोशन हुई शमा इन अँधेरो में तेरे हुस्न से मदहोश यह दिल मैंने निसार किया हैं ज़माना कहता हैं मुझकों एक अज़ीज़ शायर यगाना गीत बन गई हैं धड़कन मेरी जो तेरा दीदार किया हैं