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अपने जब पराये हो जाते हैं, तब रिश्ते क्या होते है

अपने जब पराये हो जाते हैं, तब  रिश्ते क्या होते हैं उसका एहसास होता है तब दुनिया की हकीकत पता चलती है और कुरुक्षेत्र में कृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिए उपदेशों की याद आती है जो अनुभव भगवान श्री कृष्ण ने हजारों वर्ष पहले अर्जुन को कुरुक्षेत्र में बता दिया की इस दुनिया में कोई किसी के रिश्तेदार माता पिता बाय बाय पुत्रवधू नहीं होते सभी के पीछे एक वजूद जिसे स्वार्थ कहते हैं वही काम करता है इसलिए जब लोगों के स्वार्थ पूरे हो जाते तब वह रिश्ते रिश्ते नहीं लगते इसलिए रिश्ते हमें पराए लगने लगते हैं जब तक आप अपने लोगों की स्वार्थों को पूरा करते रहेंगे तब तक तब तक आपको बहुत अच्छा लगेगा जब आपकी उनको जरूरत नहीं होगी तब वह आपसे दरकिनार हो जाएंगे इसलिए कहते हैं की वास्तविक रिश्ते कुदरत के होते हैं इंसानी रिश्ते स्वार्थ वह मतलब पर पीके होता है जिंदगी आपकी है अपने हिसाब से जियो थैंक्स
अपने जब पराये हो जाते हैं, तब  रिश्ते क्या होते हैं उसका एहसास होता है तब दुनिया की हकीकत पता चलती है और कुरुक्षेत्र में कृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिए उपदेशों की याद आती है जो अनुभव भगवान श्री कृष्ण ने हजारों वर्ष पहले अर्जुन को कुरुक्षेत्र में बता दिया की इस दुनिया में कोई किसी के रिश्तेदार माता पिता बाय बाय पुत्रवधू नहीं होते सभी के पीछे एक वजूद जिसे स्वार्थ कहते हैं वही काम करता है इसलिए जब लोगों के स्वार्थ पूरे हो जाते तब वह रिश्ते रिश्ते नहीं लगते इसलिए रिश्ते हमें पराए लगने लगते हैं जब तक आप अपने लोगों की स्वार्थों को पूरा करते रहेंगे तब तक तब तक आपको बहुत अच्छा लगेगा जब आपकी उनको जरूरत नहीं होगी तब वह आपसे दरकिनार हो जाएंगे इसलिए कहते हैं की वास्तविक रिश्ते कुदरत के होते हैं इंसानी रिश्ते स्वार्थ वह मतलब पर पीके होता है जिंदगी आपकी है अपने हिसाब से जियो थैंक्स