बनठन कर निकला करो तुम राधे जरा सम्भल सम्भल कर, ये दुनियां करें है नजरों की बैमानी रूप बदल बदल कर, मेरा क्या है मैं तो हूं तेरा देखूं तुझे सम्भल सम्भल कर, मैं तो तेरे भले को सोचूं समझाऊं तुझे हर कदम कदम पर, बनठन कर निकला करो तुम राधे ......................................! जरा सम्भल सम्भल कर.....!