मौसम भी सुनसान था अंधेरा भी छाया था उसको क्या पता था की उसके लिए जाल बिछाया था पता भी तब चला कि जब वो सामने खड़ा था मैने कहा तू बोलता तो सही मैं तेरे पास वैसे खड़ा था गद्दार यारों के लिए ©A k parashar गद्दारो के लिए