Love and Loss साजिशें कुछ यूँ थी उनकी दिल हमारा चुराने की ख्वाहिशे कुछ यूँ थी उनकी नींदे हमारी उड़ाने की हम तो थे ही सीधे साधे कहा समझते बेरंगी महोब्बत को रंजिशे कुछ यूँ थी उनकी हमे पल पल तड़पाने की prashant jain #Love and loss