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मैं जब भी उससे शहर वाले प्यार को व्यक्त कर








मैं जब भी उससे 
शहर वाले प्यार को व्यक्त करता
वो गाँव वाले प्यार का ज़िक्र करती
सुबह का सुर्ख सूरज
शाम को भी वैसा ही दिखता
 मन की रश्मियाँ रात को
देह पर अपने कोमल स्पर्श से
चांदनी में डूबे गाँव की व्याख्या करतीं मधुर से उस प्रेम की....!!!

©Vivek
  #मधुर प्रेम
vivek7712018445095

Vivek

New Creator

#मधुर प्रेम #कविता

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