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"दिल मे छाले है निगाहों मे मगर मस्ती है......! खुल

"दिल मे छाले है निगाहों मे मगर मस्ती है......!
खुल के मिलते तो है हालत मे मगर पस्ती है.....!! 

तेरे इसारे पे मै खुद को बेदखल कर दूँ.........;
मेरी खुद्दारियाँ इतनी भी नही सस्ती है........!!

मुझे गुँमा तो नही है मगर यकीन है कि........!
मेरे वजूद से दुनिया की सरपरस्ती है..........!!

तू मुझसे इश्क कर और इश्क बेपनाह भी कर.......;
नाखुदा है तू मेरा दिल ये मेरी कश्ती है..........!!

मेरे दहलीज पे दिल की कोई दिया रखदे.......;
ये स्याह रात उजाले को भी तरसती है.........!!

मैने गजलो मे लहू खुद का दिया तब जाकर......;
मेरे गजलों मे मोहब्बत की झलक बसती है......!!" kumar ashu poetry
"दिल मे छाले है निगाहों मे मगर मस्ती है......!
खुल के मिलते तो है हालत मे मगर पस्ती है.....!! 

तेरे इसारे पे मै खुद को बेदखल कर दूँ.........;
मेरी खुद्दारियाँ इतनी भी नही सस्ती है........!!

मुझे गुँमा तो नही है मगर यकीन है कि........!
"दिल मे छाले है निगाहों मे मगर मस्ती है......!
खुल के मिलते तो है हालत मे मगर पस्ती है.....!! 

तेरे इसारे पे मै खुद को बेदखल कर दूँ.........;
मेरी खुद्दारियाँ इतनी भी नही सस्ती है........!!

मुझे गुँमा तो नही है मगर यकीन है कि........!
मेरे वजूद से दुनिया की सरपरस्ती है..........!!

तू मुझसे इश्क कर और इश्क बेपनाह भी कर.......;
नाखुदा है तू मेरा दिल ये मेरी कश्ती है..........!!

मेरे दहलीज पे दिल की कोई दिया रखदे.......;
ये स्याह रात उजाले को भी तरसती है.........!!

मैने गजलो मे लहू खुद का दिया तब जाकर......;
मेरे गजलों मे मोहब्बत की झलक बसती है......!!" kumar ashu poetry
"दिल मे छाले है निगाहों मे मगर मस्ती है......!
खुल के मिलते तो है हालत मे मगर पस्ती है.....!! 

तेरे इसारे पे मै खुद को बेदखल कर दूँ.........;
मेरी खुद्दारियाँ इतनी भी नही सस्ती है........!!

मुझे गुँमा तो नही है मगर यकीन है कि........!