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मैं दरारों को भर रही थी तुम दरवाजा तोड़ रहे थे।। जो

मैं दरारों को भर रही थी
तुम दरवाजा तोड़ रहे थे।।
जो भी था वो हमारा ही था न
तुम सरेआम क्यों कर रहे थे।।
शिकवा भी करूँ तो मैं किससे
अश्कों को रखूं किस हिस्से
मैं खमोश सब सह रही थी
तुम लफ़्ज़ों को झुठला रहे थे।।

 #NojotoQuote दरमियान
मैं दरारों को भर रही थी
तुम दरवाजा तोड़ रहे थे।।
जो भी था वो हमारा ही था न
तुम सरेआम क्यों कर रहे थे।।
शिकवा भी करूँ तो मैं किससे
अश्कों को रखूं किस हिस्से
मैं खमोश सब सह रही थी
तुम लफ़्ज़ों को झुठला रहे थे।।

 #NojotoQuote दरमियान