मैं दरारों को भर रही थी तुम दरवाजा तोड़ रहे थे।। जो भी था वो हमारा ही था न तुम सरेआम क्यों कर रहे थे।। शिकवा भी करूँ तो मैं किससे अश्कों को रखूं किस हिस्से मैं खमोश सब सह रही थी तुम लफ़्ज़ों को झुठला रहे थे।। #NojotoQuote दरमियान