ना हैं मोह किसी को ना हैं, मोह आज किसी को अपने अपनो से ,ना हैं मोह अब किसी को उन गली और चौबारो से, ना हैं मोह किसी को अब बचपन के वो खेल तमाशो से, ना हैं मोह किसी को अब बचपन की वो भोली बिसरी बातो से अब तो सब भूलाए बैठे हैं अपना वो बचपन और खो गए हैं, इस चम- चमाती दुनिया में, जहा कोई किसी का दोसत कहा हैं, मोबाईलो और पबजी में ही सारा संसार रमा हैं। ©kriti ना हैं मोह😌 #बचपन😊 #लडकपन #मासूमियत #मोबाईल🤳 #नएउपकरण #उध्दरणउल्लेख♥️