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मेरी वाली मेरी वाली कुछ खास होगी। लेकिन पता नहीं उ

मेरी वाली
मेरी वाली कुछ खास होगी।
लेकिन पता नहीं उस से कब बात होगी 
इंतजार रोज करता हूं मै उसका 
ना जाने कब उस से मुलाकात होगी।
दूढ़ता तो हूं रोज उसे मै 
आसपास अपने कभी हकीकत मै 
तो कभी खावाबो मै 
लेकिन उसे तो मुझ से आंख मिचौली का खेल बहुत 
पसंद है।
रात हो जाति है उसे  डूढ़ते डूढ़ते और वो आज तक 
पास नहीं आती।
कम से कम धप्पी तो देती।
निराशा नहीं आशा है तू मेरी 
तभी तो 
दूर होकर भी पास है मेरे
कभी लगता है कि पहचान गया हूं तुझे 
आब मै जान गया तुझे 
लेकिन फिर से ये मेरा भ्रम था।
घर के नाम पे एक खाली आंगन था।
यू तड़पाना छोर दे मुझे शाहारे कि जरूतात है 
तू आके अब मुझे थाम ले।
बीते दर्द मेरे जान ले 
और मुझे आपनी एक नई पहचान दे।
अनकही एक दास्तां दे 
एक नई मंजिल एक नया मुकाम दे ।    
                                         ✍️Manoj singh Gaira #meri wali
मेरी वाली
मेरी वाली कुछ खास होगी।
लेकिन पता नहीं उस से कब बात होगी 
इंतजार रोज करता हूं मै उसका 
ना जाने कब उस से मुलाकात होगी।
दूढ़ता तो हूं रोज उसे मै 
आसपास अपने कभी हकीकत मै 
तो कभी खावाबो मै 
लेकिन उसे तो मुझ से आंख मिचौली का खेल बहुत 
पसंद है।
रात हो जाति है उसे  डूढ़ते डूढ़ते और वो आज तक 
पास नहीं आती।
कम से कम धप्पी तो देती।
निराशा नहीं आशा है तू मेरी 
तभी तो 
दूर होकर भी पास है मेरे
कभी लगता है कि पहचान गया हूं तुझे 
आब मै जान गया तुझे 
लेकिन फिर से ये मेरा भ्रम था।
घर के नाम पे एक खाली आंगन था।
यू तड़पाना छोर दे मुझे शाहारे कि जरूतात है 
तू आके अब मुझे थाम ले।
बीते दर्द मेरे जान ले 
और मुझे आपनी एक नई पहचान दे।
अनकही एक दास्तां दे 
एक नई मंजिल एक नया मुकाम दे ।    
                                         ✍️Manoj singh Gaira #meri wali