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हमारे आशाओं को पूर्ण नहीं करने वाले अपने सगे संबं

हमारे आशाओं को  पूर्ण नहीं करने वाले अपने सगे संबंधी भी  पराये से प्रतीत होने लगते हैं . इसलिए संसार से आशारहित हो जाइये फिर समस्त प्राणी आपको अपने लगेंगे . क्योंकि अपने पराये का बोध स्वार्थ और  आशाओं पर आधारित हैं जिसने पूरा किया वो अपना जिसने नहीं पूरा किया वो पराया . इससे अच्छा आशारहित होकर सभी को अपना बना लिजिए चिंता मुक्त होने का ये भी एक बेहतर उपाय है 
                      " परम् भाग्यम्"
 आशा हि परमो दुःखं , नैराश्यं परमं सुखं ।।
हमारे आशाओं को  पूर्ण नहीं करने वाले अपने सगे संबंधी भी  पराये से प्रतीत होने लगते हैं . इसलिए संसार से आशारहित हो जाइये फिर समस्त प्राणी आपको अपने लगेंगे . क्योंकि अपने पराये का बोध स्वार्थ और  आशाओं पर आधारित हैं जिसने पूरा किया वो अपना जिसने नहीं पूरा किया वो पराया . इससे अच्छा आशारहित होकर सभी को अपना बना लिजिए चिंता मुक्त होने का ये भी एक बेहतर उपाय है 
                      " परम् भाग्यम्"
 आशा हि परमो दुःखं , नैराश्यं परमं सुखं ।।