दुनिया-सब्जीमंडी
ये दुनिया सब्जीमंडी है और हम सब सब्जी भाजी है
बासी है कोई सूख रही, तो कोई एकदम ताज़ी है
कोई बिन पेंदे का बैंगन, जो एक जगह ना टिकता है
वह जाता भुना आग में है और उसका भुड़ता बनता है
है कांटेदार कोई कटहल, लसलसी, चिपचिपी है भीतर
तो किसी खेत की मूली है, कोई, उजली, दुबली सुन्दर #Hindi#poem#sharing