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छलकते दर्द को होठों से बताऊं कैसे...?? ये खामोश

छलकते दर्द को होठों से
 बताऊं कैसे...??
 ये खामोश ग़ज़ल 
मैं तुमको सुनाऊं कैसे...??

दर्द गहरा हो तो 
आवाज़ खो जाती है..... 
ज़ख़्म से टीस उठे तो
 तुमको पुकारूं कैसे...?

मेरे जज़्बातों को मेरी
 इन आंखों में पढ़ो.... 
अब तेरे सामने मैं 
आंसू भी बहाऊं कैसे...??

इश्क तुमसे किया 
जमाने का सितम भी सहा.... 
फिर भी तुम दूर हो मुझसे 
मैं ये जताऊं कैसे ??

©Kushal
  #खामोश ग़ज़ल मैं तुमको सुनाऊं कैसे...
#gazal #Shayari #SAD

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