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जीवन का अभिज्ञ लिए, ​अनभिज्ञ रही मै, ​स्मृतियों की

जीवन का अभिज्ञ लिए,
​अनभिज्ञ रही मै,
​स्मृतियों की स्थिरता,
​तय करती रही,
काल के प्रहार से विघटित,
​विस्मृत उम्र मेरी,

​रूढ़ियों के पौरुष से चिरप्रसूतिका मै,
​कभी कोई,
​अभिलाषा नही करूँगी गर्भित,
ना जन्मूंगी श्वाँस मात्र लिप्सा अपनी,
​पालने की रिक्तता,
​पुकारेगी मेरी ममता, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#रेहन_ईप्सा

जीवन का अभिज्ञ लिए,
​अनभिज्ञ रही मै,
​स्मृतियों की स्थिरता,
​तय करती रही,
जीवन का अभिज्ञ लिए,
​अनभिज्ञ रही मै,
​स्मृतियों की स्थिरता,
​तय करती रही,
काल के प्रहार से विघटित,
​विस्मृत उम्र मेरी,

​रूढ़ियों के पौरुष से चिरप्रसूतिका मै,
​कभी कोई,
​अभिलाषा नही करूँगी गर्भित,
ना जन्मूंगी श्वाँस मात्र लिप्सा अपनी,
​पालने की रिक्तता,
​पुकारेगी मेरी ममता, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#रेहन_ईप्सा

जीवन का अभिज्ञ लिए,
​अनभिज्ञ रही मै,
​स्मृतियों की स्थिरता,
​तय करती रही,
akalfaaz9449

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