दिल चर्खे की ईक तू डोरी सोफी उसका रंग हाय ऊसमे जो तेरा ख्वाब पिरोया निन्दे बनि पतंग आंखे भरती न्ही सांसे रज ती न्ही चाहे कितना भी देखती जाऊ वक्त जाये मे रोक ना पाऊ तू थोदी देर और थेहेर जा सोनेया तू थोडी देर और ठेरजा थोडी देर