ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। वो काली अंधेरी रात,गुलाबी ठंड कि शुरुआत। आधी रात गुजर गई थी पीते पीते मैखाने मे,वो चला तो था पर ना घर कि ओर ना, अपनो कि ओर उसे खुद नही पता था कहा, बस लड़खड़ाते कदम आगे बढ़ रहे थे। होठों पे सिर्फ एक नाम और एक सवाल - "चंदा, क्या थी मेरी खता,जो जिते जी कर गई मुझे मौत अता।" हर कदम पर एक नया सवाल वो इसी अंदाज मे कहता हुआ बढ़ता चला- चंदा, क्यों तूने आंसमा से बिछड़कर उसे सूना किया, अब मुझे जलते सूरज कौन बचाएगा।"और धीरे-धीरे कदम रूक गए होठ सिर्फ कांपते रहे सवालों का सिलसिला रुक गया।सूरज सी चमक वाला चेहरा ग्रहण लगे चंद्रमा सा होने लगा था, अब बस ओस की बूँदें चेहरे पर पड़ रही थीं........ दुसरे दिन अखबार मे खबर आई -कल रात शहर के मशहूर शायर कि मौत, उनकी लाश मशहूर तवायफ चाँद बानो कि कब्र पर पायी गई। #shayar_aur_pyar #nojoto mera prayas ek laghu kahni ka kaisa raha jarur bataye..