नींदें क्यूं बंजर तेरे बिना हैं तलब तेरी, मुझे हुई कुछ तो हां......दरमियां है जुबां दो मेरे ख्यालों को तुम अदा तो मेरे सवालों को तुम बेसलीके सी हैं मेरी ख्वाहिशें काफिर मेरी बेचैनी का ना कोई नामोनिशां नींदें क्यू बंजर तेरे बिना हैं तलब तेरी, मुझे हुई कुछ तो हां......दरमियां है हां तुझमें जो हूं तो महफूज हूं बेजान तुझ बिन, मैं बेरूह हूं मेरी पेशगी में तेरी परवाहियां मुसाफिर मेरे ख्वाब तेरे सिरहाने सोयें सदा नींदें क्यूं बंजर तेरे बिना हैं तलब तेरी, मुझे हुई कुछ तो हां......दरमियां है #nojoto #songwrites #djgarg