मैं कवि हूँ कवि हूँ, लिखी से नहीं आँखों देखी से लिखता हूँ अलग हूँ, बस मिल के चलता हूँ जटिल हूँ, सरल से समझता हूँ बदी से नहीं, आशिक़ी से जलता हूँ सफा हूँ, बेदाग़ ही पनपता हूँ परायों से नहीं, अपनों से डरता हूँ बेख़ौफ़ हूँ, ज़िन्दगी से लड़ता हूँ संतुष्ट नहीं, महरूमी में जीता हूँ हौसला हूँ, तारीफों से उफनता हूँ बेबाक नहीं, तौल के बोलता हूँ आग हूँ, परवाने निगलता हूँ कवि हूँ, लिखी से नहीं आँखों देखी से लिखता हूँ मैं कवि हूँ, बस थोड़ा बहुत कहता हूँ FULL POEM मैं कवि हूँ कवि हूँ, लिखी से नहीं