मेरी पहचान क्यों धुंधली सी है मुझे खौफ है किस बात का! क्या धोखा ही मिलता है सबको कोई मोल ना जज्बात का! 💟💟💟💟💟💟 मन भ्रमित मस्तिष्क अडिग फिर रास्ते क्यों मायूस हैं! मतलब का सारा खेल है कोई महत्व ना अब साथ का! 💞💞💞💞💞💞 कायर की भांति छुप रहे जो बातें कहते थे बड़ी! मारा गया हर शख़्स वो जो बंजर में इक बरसात था! 🤲🤲🤲🤲🤲 या खुदा तू ही बता ये क्या तेरा इंसाफ है! जेबें सभी अब भर रहे ना नाम अब खैरात का! 😑😑😑😑😑😑 #आज_की_हकीकत #आइना_समाज_का #कविता