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4. पड़ गई इसकी भनक थी ठाकुरों के कान में वे इकट्ठे

4.
पड़ गई इसकी भनक थी ठाकुरों के कान में
वे इकट्ठे हो गए थे सरचंप के दालान में

दृष्टि जिसकी है जमी भाले की लम्बी नोक पर
देखिए सुखराज सिंग बोले हैं खैनी ठोंक कर

क्या कहें सरपंच भाई क्या ज़माना आ गया
कल तलक जो पाँव के नीचे था रुतबा पा गया

कहती है सरकार कि आपस मिलजुल कर रहो
सुअर के बच्चों को अब कोरी नहीं हरिजन कहो

देखिए ना यह जो कृष्णा है चमारो के यहाँ
पड़ गया है सीप का मोती गँवारों के यहाँ

जैसे बरसाती नदी अल्हड़ नशे में चूर है
हाथ न पुट्ठे पे रखने देती है मगरूर है... पड़ गई इसकी #भनक थी #ठाकुरों के कान में
वे #इकट्ठे हो गए थे #सरचंप के दालान में

दृष्टि जिसकी है #जमी #भाले की लम्बी #नोक पर
देखिए सुखराज #सिंग बोले हैं खैनी ठोंक कर

क्या कहें सरपंच भाई क्या #ज़माना आ गया
कल #तलक जो पाँव के नीचे था #रुतबा पा गया
4.
पड़ गई इसकी भनक थी ठाकुरों के कान में
वे इकट्ठे हो गए थे सरचंप के दालान में

दृष्टि जिसकी है जमी भाले की लम्बी नोक पर
देखिए सुखराज सिंग बोले हैं खैनी ठोंक कर

क्या कहें सरपंच भाई क्या ज़माना आ गया
कल तलक जो पाँव के नीचे था रुतबा पा गया

कहती है सरकार कि आपस मिलजुल कर रहो
सुअर के बच्चों को अब कोरी नहीं हरिजन कहो

देखिए ना यह जो कृष्णा है चमारो के यहाँ
पड़ गया है सीप का मोती गँवारों के यहाँ

जैसे बरसाती नदी अल्हड़ नशे में चूर है
हाथ न पुट्ठे पे रखने देती है मगरूर है... पड़ गई इसकी #भनक थी #ठाकुरों के कान में
वे #इकट्ठे हो गए थे #सरचंप के दालान में

दृष्टि जिसकी है #जमी #भाले की लम्बी #नोक पर
देखिए सुखराज #सिंग बोले हैं खैनी ठोंक कर

क्या कहें सरपंच भाई क्या #ज़माना आ गया
कल #तलक जो पाँव के नीचे था #रुतबा पा गया