जीवटता फूलों की सेज कहा मिली; कांटो की राह आगे बढ़ी। पथ पर कुछ कंकड़ तो कुछ पत्थर ही मिले; हर जगह चीखती धूप तो कुछ ही छांव मिली। कुछ हमराही मिले जरूर, पर मतलब के; किस पथ जाना था उसे आखिर ? मंजिल तो तय थी, पर भटकाव बहुत-सी; राह न था कोई आसान, सब घात लगाए बैठे-से। मौका-न जाय हाथ से कि उसे... बढ़ना था राह से, उसी कंटक-भरे; पीड़ा सहते अपनो की, लोगो की। ताने भी बहुत पर, हौसला कहा टूटा था? मिलते सब गिराने को, पर वो गिरी नहीं; सब दर्द सहते हुए, वो ना रुकी, ना झुकी.. सफर तय हो रही.. जीवन-पथ आगे बढ़ रही। आसां न रहा कुछ भी, पर जीवटता बनी रही.. अब, वो कांटो की सेज भी गौरव-पथ बता रही। वो पथ अब, उसका हिम्मत बढा रही.. रास्ते जो इतने कठिन तय हुए हैं,,, अब वो कहती हैं- हे समय! अब, मंजिल दूर नहीं।। ©saurav life #vacation #spmydream