मुलाक़ात का वो आलम याद आता है पल पल दिल के तार बजने लगे थे मन में हुई थी हलचल नीली नीली आँखे उसकी काया जैसे हो मलमल हिरनी जैसी चाल थी उसकी सौख अदाएं चंचल चाँद से मुखड़े को चार चाँद लगाये काली लटाएं उड़ उड़ के एक ही नज़र में घायल हो गये देखा जब उसने मुड़ मुड़ के ©HONEY ROMANCE देखा जब देखा उसने मुड़ के