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थोड़ी हाथो की लकीरे है मेरी कमजोर हर कोई तन्हा बना

थोड़ी हाथो की लकीरे है मेरी कमजोर
हर कोई तन्हा बना देता है

दो पल के लिए माँगते है खुशी वो आँसु के बोझ बना देता है.


.. लकीरे क्या कहती है....
थोड़ी हाथो की लकीरे है मेरी कमजोर
हर कोई तन्हा बना देता है

दो पल के लिए माँगते है खुशी वो आँसु के बोझ बना देता है.


.. लकीरे क्या कहती है....