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मेरे चेहरे पर यूँ तो कोई दाग न था, मगर मैं क्या कर

मेरे चेहरे पर यूँ तो कोई दाग न था,
मगर मैं क्या करूँ,लोगों को आजकल बेदागी भी खलती है।

शहर में रहकर बेदागी मयस्सर कहाँ?
यहाँ तो चाँद भी बेदाग नहीं।

मैला आँचल, मैला मैं, मैले वो भी है,
मगर इत्तेफाकन देखिये जनाब कि,वे आईना दिखा रहे थे और हमारे पास कुछ भी न था। Khushnuma pahal
मेरे चेहरे पर यूँ तो कोई दाग न था,
मगर मैं क्या करूँ,लोगों को आजकल बेदागी भी खलती है।

शहर में रहकर बेदागी मयस्सर कहाँ?
यहाँ तो चाँद भी बेदाग नहीं।

मैला आँचल, मैला मैं, मैले वो भी है,
मगर इत्तेफाकन देखिये जनाब कि,वे आईना दिखा रहे थे और हमारे पास कुछ भी न था। Khushnuma pahal