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पड़ोसन मेरी बड़ी प्यारी, आकर्षण उसका खींचता। मन करता

पड़ोसन मेरी बड़ी प्यारी,
आकर्षण उसका खींचता।
मन करता देखता ही रहूँ,
रूप लावण्य उसका।

पत्नी को पता चला तो,
बन गई कर्कशा!
पीछा छुड़ाने मुझसे,
बना ली दीवार रिश्ते में
चल दी पीछे किसी और के।

भोग में डूबी आँखे!
नही देख पाती।
जलता हुआ मकां ख़ुद का।
 🎀 Challenge-208 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।
पड़ोसन मेरी बड़ी प्यारी,
आकर्षण उसका खींचता।
मन करता देखता ही रहूँ,
रूप लावण्य उसका।

पत्नी को पता चला तो,
बन गई कर्कशा!
पीछा छुड़ाने मुझसे,
बना ली दीवार रिश्ते में
चल दी पीछे किसी और के।

भोग में डूबी आँखे!
नही देख पाती।
जलता हुआ मकां ख़ुद का।
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