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ये मेरी "DIARY" । अधूरे लफ़्ज़ और अकेलेपन के एहसा

ये मेरी "DIARY" ।

अधूरे लफ़्ज़ और अकेलेपन के एहसास को
साही से लिखू या सुरमे से लिखू...।
कतराती हूं ये सोच के की
बीच सफर में दोस्ती राहे से रखू या मंजिल से रखू...।
आंखों में दर्द के समंदर लिए
दिल में रेत का घर बसाना चाहती हूं...।
रात भर इन आंखों को यादों में भीगा कर
ख्वाबों के बाहों में लिपटना चाहती हूं...।
तू कब तक समेटती रहेगी
वो बिखरी हुई यादों के पन्नो को...।
पाकर भी खो दिया है सब कुछ  
अब यादों के सिवा और कुछ नहीं है खोने को...।
वो पूछते हैं ठिकाना हमारे लापता खुशियों का
और यहाँ अल्फाजों की देहलीज पर जिंदगी घायल खड़ी हे...।
सो लेने दो सिमटी हुई यादों के बिस्तर पे कुछ देर और
यारो,,,जीने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है...।
कर लेती हूं‌ कभी कभी हिसाब आपनो के दिए हुए ज़ख्म का
ओर उनके दिए हुए मोहब्बत के कर्जदार भी हम हैं...।
लोग पास रह कर रिश्तो निभाने की बात करते हैं
मगर निभाने वाले तो दूर रह कर भी निभा जाते हैं...।
जरूरी तो नहीं की
हर मसले का हल माफ़ी हो...।
कल सब नाम के रिश्ते जरूरी थे
मगर आज मेरे लिए सिर्फ "TUM" ही काफी हो...।

©Rajeswari Bal
  #diary Diary is my best friend 📒🖋️

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