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बिल्कुल तेरे जैसा है, जब भी छोड़ना चाहा तलब और ज्या

बिल्कुल तेरे जैसा है,
जब भी छोड़ना चाहा
तलब और ज्यादा बढ़ गई...
नशा ऐसा चढ़ा 
दिल-ओ-दिमाग़ पर
के लोग कहने लगे
मुझको तो चढ़ गई...
सामने जब भी आती हो तो
होठों से लगाए बिना 
रहा नहीं जाता है...
दिन ढले, दिन चढ़े
ख़ुश्बू से तिरी 
आँख मिरी खुले
सच कहूँ कसम से तुझ बिन 
रहा नहीं जाता है...
हाय रे हाय...
ज़िंदगानी हुई तू
और ये चाय...☕☕☕ कल था चाय दिवस
मैं था
व्यस्तता से विवश
आज हूँ
लिख पाया,
लेकिन
चाय को तो 
कल भी
बिल्कुल तेरे जैसा है,
जब भी छोड़ना चाहा
तलब और ज्यादा बढ़ गई...
नशा ऐसा चढ़ा 
दिल-ओ-दिमाग़ पर
के लोग कहने लगे
मुझको तो चढ़ गई...
सामने जब भी आती हो तो
होठों से लगाए बिना 
रहा नहीं जाता है...
दिन ढले, दिन चढ़े
ख़ुश्बू से तिरी 
आँख मिरी खुले
सच कहूँ कसम से तुझ बिन 
रहा नहीं जाता है...
हाय रे हाय...
ज़िंदगानी हुई तू
और ये चाय...☕☕☕ कल था चाय दिवस
मैं था
व्यस्तता से विवश
आज हूँ
लिख पाया,
लेकिन
चाय को तो 
कल भी
vijaytyagi5239

Vijay Tyagi

New Creator