परिंदों से ऊंची जिसकी उड़ान है जो भी पाना चाहा पाया वो हर एक मुकाम है जिसकी खुद की अलग एक पहचान है जो मेरी नजरों में महान है वो मेरी अर्धांगिनी है मेरा अभिमान है Adv Sushil abhiman