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इंतज़ार कब तक कराने का इरादा है, ख़ुद से नाराज़गी है

 इंतज़ार कब तक कराने का इरादा है,
ख़ुद से नाराज़गी है या कोई वादा है..!

हम तो सनम हारे हैं ख़ुद से,
औरों के नज़रिये से जीवन आधा है..!

कोई कहे कुछ भी ख़ामोश रहते हैं,
व्यवहार हमारा सीधा सादा है..!

ख़ुशियाँ हैं कम जीवन में हमदम,
परेशानियों के पहाड़ बहुत ज्यादा हैं..!

किसी को लगते हैं दिल से बादशाह,
किसी के लिए किरदार प्यादा है..!

दिल का मकाँ प्रेम का घर होना चाहे,
कब तक कहें ये कैसा तकादा है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Alive #intzaar_e_mohabbat